आसान नहीं होगा 2025 में ITR फाइल करना, 2024 में इनकम टैक्स ने बदल दिए हैं ये 15 नियम हर साल की तरह यह साल भी खत्म होने जा रहा है
अब नए साल के बिगुल बजने में सिर्फ 2 दिन बचे हैं. इस बिगुल के साथ नए साल में आईटीआर फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स के टेंशन की घंटी भी बजनी शुरू हो जाएगी.क्योंकि 2024 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्स से जुड़े कई नियमों में बदलाव किया है, तो अगर आप 2025 में आईटीआर फाइल करने वाले हैं तो आपको इन नियमों के बारे में अभी जान लेना चाहिए, ताकि जब टिक-टिक के साथ आईटीआर फाइलिंग की लास्ट डेट नजदीक आनी शुरू हो जाए तो आपको परेशानी ना हो.
साल 2024 में इनकम टैक्स कानून में महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जो जुलाई 2024 में पेश किए गए यूनियन बजट के कारण संभव हुआ. अप्रैल से जून 2024 के बीच हुए आम चुनावों के चलते यह बजट मध्य वर्ष में पेश किया गया. इन बदलावों का असर वित्तीय वर्ष 2024-25 की इनकम टैक्स कैलकुलेशन और जुलाई 2025 में इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइलिंग पर पड़ेगा. इसलिए चलिए उन बदलाओं पर नजर डालते हैं जो टैक्सपेयर्स की टेंशन बढ़ाने जा रहे हैं.
1. टैक्स स्लैब्स में हुआ बदलाव
सरकार ने नए टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किए. इस बदलाव से वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए टैक्सपेयर्स को 17,500 रुपए तक की बचत हो सकती है.
नए स्लैब (₹) टैक्स दरें (%)
₹0-3,00,000 0%
₹3,00,001-7,00,000 5%
₹7,00,001-10,00,000 10%
₹10,00,001-12,00,000 15%
₹12,00,001-15,00,000 20%
₹15,00,001 और उससे ऊपर 30%
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन में हुई वृद्धि
नए टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए कर दी गई है. पारिवारिक पेंशनधारकों के लिए यह सीमा 15,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए की गई है.
3. एनपीएस योगदान पर बढ़ा डिडक्शन
अब नए टैक्स रिजीम के तहत एनपीएस में नियोक्ता के योगदान पर 14% तक डिडक्शन का दावा किया जा सकता है. पहले यह सीमा 10% थी. यह क्लेम इनकम टैक्स के सेक्शन 80CCD(2) के तहत किया जा सकता है.
4. एलटीसीजी और एसटीसीजी पर नई दरें
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी): इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स पर 20%
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी): सभी संपत्तियों पर 12.5%
5. होल्डिंग अवधि में बदलाव
कैपिटल गेन को लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म के रूप में डिफाइन करने के लिए होल्डिंग अवधि को दो कैटेगरी में सीमित किया गया है.
लिस्टेड एसेट के लिए: 12 महीने
अनलिमिटेड सिक्योरिटीज के लिए: 24 महीने
6. टीडीएस दरों का रेशनलाइजेशन
कुछ इनकम पर टीडीएस दरों को पहले से आसान किया गया है.
बीमा पॉलिसी पर भुगतान: 2% (1 अक्टूबर 2024 से)
किराए पर भुगतान: 2% (1 अक्टूबर 2024 से)
ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स द्वारा भुगतान: 0.1%
7. टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट का दावा
अब कर्मचारी अन्य आय सोर्स या खर्च पर डिडक्ट हुए टीडीएस/टीसीएस का क्रेडिट लेकर अपने वेतन पर काटे गए टीडीएस को कम कर सकते हैं.
8. टीसीएस क्रेडिट का लाभ
अब माता-पिता अपने बच्चों के विदेशी शिक्षा शुल्क पर लगाए गए टीसीएस का क्रेडिट अपने नाम पर ले सकते हैं. यह नियम 1 जनवरी 2025 से लागू होगा.
Subscribe to our Youtube channel- https://www.youtube.com/@NavbharatNewsIndia/featured
9. शेयर बायबैक पर टैक्स
अब शेयर बायबैक से प्राप्त राशि पर व्यक्तिगत धारकों द्वारा स्लैब दरों के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा. यह नया कानून 1 अक्टूबर, 2024 से लागू हो गया है. संशोधित कानून से उन व्यक्तियों की इनकम पर टैक्स की देयता बढ़ने की संभावना है, जिनकी आय पर 30% टैक्स स्लैब दर से टैक्स लगता है. हालांकि, जिन व्यक्तियों की आय पर 20% से कम टैक्स लगता है, उन्हें लाभ होने की संभावना है. उन्हें शेयरों की खरीद से होने वाली बिक्री आय पर कम कर देना होगा. 30 सितंबर, 2024 तक, कंपनी (जिसने शेयर वापस खरीदे) ने शेयरों की खरीद पर 20% की दर से डीडीटी (लाभांश वितरण कर) का भुगतान किया, साथ ही 12% का अधिभार और 4% का उपकर भी दिया.
10. लक्जरी वस्तुओं पर टीसीएस
10 लाख रुपए से अधिक मूल्य की लक्जरी वस्तुएं खरीदने पर टीसीएस देना होगा. यह नियम 1 जनवरी 2025 से लागू होगा. यानी अगर आप लक्जरी समान खरीदने की सोच रहे हैं तो यह टैक्स आपकी जेब पर सीधा असर डालने जा रहे हैं.
11. संपत्ति बिक्री पर टीडीएस में संशोधन
50 लाख रुपए से अधिक के संपत्ति लेनदेन पर टीडीएस कुल राशि पर कटेगा, भले ही किसी एक विक्रेता का हिस्सा ₹50 लाख से कम हो.
12. आरबीआई फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स पर टीडीएस
10,000 रुपए प्रति माह से अधिक ब्याज आय पर टीडीएस काटा जाएगा. यह एक अक्टूबर 2024 से लागू हो चुका है.
13. विवाद से विश्वास योजना 2.0
यह योजना टैक्सपेयर्स और इनकम टैक्स विभाग के बीच चल रहे मुकदमों को सुलझाने के लिए पेश की गई है, जिसे 1 अक्टूबर 2024 से लागू किया जा चुका है.
14. आधार नामांकन नंबर का उपयोग नहीं
आधार नामांकन संख्या अब इनकम टैक्स रिटर्न और पैन आवेदन में केवल 5 वर्षों तक पुराने आईटीआर खोल सकता है, जो पहले 10 वर्ष थी.