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90 करोड़ में बेच दी (Sahara Group) सहारा समूह की 1,000 करोड़ की 310 एकड़ जमीन, जांच के घेरे में संजय पाठक

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90 करोड़ में बेच दी सहारा समूह की 1,000 करोड़ की 310 एकड़ जमीन, जांच के घेरे में संजय पाठक

भोपाल। भोपाल, जबलपुर और कटनी में सहारा समूह की 310 एकड़ जमीन को औने-पौने दाम में बेचने के पहले समूह की तरफ से 10 से अधिक सब्सिडियरी कंपनियां बनाई गई थीं। इन्हें जमीन बेचने के लिए अधिकृत किया गया था। भाजपा विधायक संजय पाठक के स्वजन की हिस्सेदारी वाली दो कंपनियों को जमीन की रजिस्ट्री इन्हीं कंपनियों ने कराई थी। एक- एक रजिस्ट्री में विक्रेता के तौर पर 10 से अधिक कंपनियों के नाम हैं। अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) इन कंपनियों की भूमिका की जांच कर रहा है। इस मामले में जल्द ही एफआइआर भी हो सकती है।

ईओडब्ल्यू कर रहा जांच ईओडब्ल्यू यह पता कर रहा है कि बिक्री से प्राप्त राशि किन खातों में जमा कराई गई। इसके बाद राशि कहां गई। कंपनियों को जमीन के विक्रय के लिए किसने अधिकृत किया था। जमीन बिक्री के लिए एक करोड़ रुपये ब्रोकरेज शुल्क की राशि किन खातों में गई। यह राशि किन-किन खातों में घूमी।

कलेक्टर गाइडलाइन में नहीं बढ़े जमीन के रेट सहारा समूह की बेची गई कुल 310 एकड़ जमीन में से 110 एकड़ भोपाल में मक्सी गांव में है। सूत्रों ने बताया कि इस क्षेत्र की जमीन के रेट कलेक्टर गाइड लाइन में कई वर्ष से नहीं बढ़े हैं। यह भी बड़ा सवाल है। एक पूर्व मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों के दबाव के चलते जमीन के रेट नहीं बढ़ने की बात सामने आ रही है। इसका लाभ जमीन खरीदने वाले को मिला।

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हजार करोड़ की जमीन 90 करोड़ रुपये में बेची गई दूसरा, यह आवासीय जमीन थी जिसे कृषि भूमि बताकर बेचा गया। वर्तमान मूल्य के हिसाब से बेची गई 310 एकड़ जमीन की कीमत लगभग एक हजार करोड़ रुपये थी, जिसे 90 करोड़ रुपये में बेचा गया। इस तरह स्टांप और पंजीयन शुल्क के रूप में शासन को 90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सहारा सिटी बनाने के लिए खरीदी गई थी भूमि सहारा इंडिया रियल स्टेट कार्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग कार्पोरेशन इंवेस्टमेंट समूह द्वारा विभिन्न शहरों में निवेशकों से धन जुटाकर सहारा सिटी बनाने के उद्देश्य से भूमि खरीदी गई थी।सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस जमीन की बिक्री से मिली राशि सेबी के खाते में जमा कराना था, जिससे निवेशकों को राशि लौटाई जा सके, पर राशि सहारा इंडिया रियल स्टेट लिमिटेड, सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन एवं निजी शैल कंपनियों के खातों में जमा कराई गई।

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