65

65 साल साथ रहे देवव्रत और चंद्रलेखा, मौत आयी तो 2 सेकेंड के अंदर दोनों ने दम तोड़ा

65

65 साल साथ रहे देवव्रत और चंद्रलेखा, मौत आयी तो 2 सेकेंड के अंदर दोनों ने दम तोड़ा

मुजफ्फरपुर: जीवन के हर उतार-चढ़ाव में पत्नी अपने पति का साथ देती है. दोनों के बीच का रिश्ता इतना अटूट होता है कि इसे कोई तोड़ नहीं सकता. वहीं बिहार के मुजफ्फरपुर में जीवन भर साथ निभाने का वादा अपनी अंतिम सांस तक पूरा किया. यहां एक बुजुर्ग दंपती 97 वर्षीय देवव्रत प्रसाद और उनकी 90 वर्षीय पत्नी चंद्रलेखा श्रीवास्तव ने एक साथ प्राण त्याग दिए. पति की मृत्यु के कुछ सेकंड बाद ही पत्नी ने भी दम तोड़ दिया.

65 वर्षों तक एक दूसरे के साथी रहे: बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर के गोबरसही निवासी सेवानिवृत्त एडीएम देवव्रत प्रसाद और उनकी धर्मपत्नी चंद्रलेखा श्रीवास्तव ने लगभग 65 वर्षों तक एक साथ जीवन व्यतीत किया. जीवन भर एक-दूसरे के साथ रहे. इस दंपती ने अंतिम यात्रा भी साथ ही तय की. दोनों ने चंद सेकंड के अंतराल में प्राण त्याग रप एक साथ अंतिम सांस ली.

एक साथ दोनों ने त्याग दिये प्राण: दंपती के छोटे बेटे विजय व्रत श्रीवास्तव ने बताया कि उनके बड़े भाई धर्मव्रत श्रीवास्तव जब सुबह पिता को जगाने गए, तो उन्होंने पाया कि उनका निधन हो चुका है. जैसे ही उन्होंने मां को यह दुखद समाचार देने के लिए गए तो देखा कि उन्होंने भी अपनी आंखें मूंद लीं और प्राण त्याग दिए. दंपती के दो बेटे और एक बेटी हैं जो सभी अपने माता-पिता के निधन से गहरे सदमे में हैं.

दोनों बेटों ने दी एक साथ मुखाग्नि: पड़ोसियों के मुताबिक, यह दंपती सादगी की मिसाल थे. वे हमेशा साथ रहते थे और साथ ही विदा भी हो गए. बेटों ने अपने माता-पिता की एक साथ मुखाग्नि दी. चित्रगुप्त एसोसिएशन सहित कई संगठनों और स्थानीय लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. सच्चा प्रेम केवल जीवन में नहीं, बल्कि मृत्यु तक साथ निभाने का नाम है. दोनों की यह कहानी हमें रिश्तों की गहराई और प्रेम के वास्तविक अर्थ को समझाने के लिए हमेशा याद रहेगी.

Subscribe to our Youtube channel- https://www.youtube.com/@NavbharatNewsIndia/featured

एडीएम पद से सेवानिवृत्त देवव्रत प्रसाद और चंद्रलेखा का सोमवार सुबह एक साथ निधन हो गया. दोनों एक ही कमरे में सोए थे. सुबह बड़े पुत्र धर्मव्रत श्रीवास्तव (मुन्ना) पिता को जगाने गए तो देखा उनकी सांस थम गई थी. पास ही दूसरे बेड पर सोई मां को यह दुखद समाचार देने गए तो देखा उन्होंने भी आंखें मूंद ली थीं. एक साथ दंपती के निधन की चर्चा मोहल्ले में दिनभर होती रही.

“पिता को जगाने गए तो देखा उनकी सांस थम गई थी. पास ही दूसरे बेड पर सोई मां को यह दुखद समाचार देने गए तो देखा उन्होंने भी आंखें मूंद ली थीं.एक साथ माता और पिता का साया सिर से उठ गया. उनके लिए वे आदर्श रहे.” -धर्मव्रत श्रीवास्तव, पुत्र

1988 में एडीएम पद हुए थे रिटायर्ड: पड़ोसी संजय ओझा ने बताया कि देवव्रत श्रीवास्तव वर्ष 1988 में एडीएम पद से सेवानिवृत्त हुए थे. तब से उन्हें देख रहा हूं. दंपती सादगी की मिसाल रहे. दो पुत्र, एक पुत्री के साथ उनका बड़ा परिवार है. दोनों बहू और एक पोती स्कूल में शिक्षक हैं. पोता इंजीनियरिंग के बाद एलआईसी में कार्यरत हैं. बड़े बेटे की डीटीएच की दुकान है. छोटा बेटा बीमा कंपनी में सर्वेयर है.

“आज हमारे सिर से एक साथ माता और पिता का साया उठा गया. दोनों की एक साथ मौत से पूरा परिवार दुखी है. लेकिन शादी के बाद से दोनों साथ थे और मौत भी उनको जुदा नहीं कर सका.”- विजय व्रत श्रीवास्तव, छोटा बेटा

दोनों के बीच था अगाध प्रेम: दोनों में अगाध प्रेम था. एक दिन के लिए भी साथ नहीं छोड़ा. विदाई भी एक साथ ली. दोनों का एक साथ निधन होने पर लोगों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है. इस घटना की अब जगह चर्चा हो रही है. आसपास के इलाके में हर जगह शोक का माहौल है.

Do Read-

13th February से शुरू होगा फाल्गुन:

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *