Modi सरकार जल्द ही मौजूदा Wakf Board Act को संशोधन वाला एक नया बिल संसद में लेकर आ सकती है। वक्फ बोर्ड के पास देश भर में लाखों करोड़ रुपये की संपत्ति है। प्रस्तावित संशोधनों के तहत वक्फ बोर्ड के दावों का अनिवार्य रूप से वेरिफिकेशन किया जाएगा | 🅱️ Navbharat News India

Wakf Board Act

Modi सरकार जल्द ही मौजूदा Wakf Board Act को संशोधन वाला एक नया बिल संसद में लेकर आ सकती है। वक्फ बोर्ड के पास देश भर में लाखों करोड़ रुपये की संपत्ति है। प्रस्तावित संशोधनों के तहत वक्फ बोर्ड के दावों का अनिवार्य रूप से वेरिफिकेशन किया जाएगा | 🅱️ Navbharat News India

Modi सरकार सोमवार 5 अगस्त को एक बिल लेकर आ सकती है, जिसके जरिए वह wakf Board Act के अधिकारों में संशोधन करेगी. दो अगस्त को मोदी कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में 40 संशोधन किए और उसे मंजूरी दे दी है. वक्फ एक्ट में जो बदलाव लाने का प्रस्ताव है, अगर वे लागू हो जाते हैं तो वक्फ बोर्ड का स्वरूप और उसके अधिकारों पर काफी प्रभाव पड़ेगा और उसकी शक्तियां काफी सीमित हो जाएंगी.

वक्फ बोर्ड में क्या हो सकते हैं बड़े बदलावमो दी सरकार वक्फ एक्ट में संशोधन का जो बिल ला रही है, उसके कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हो सकते हैं-

1. अब वेरिफिकेशन से पहले कोई भी जमीन वक्फ की संपत्ति घोषित नहीं की जा सकती है.

2. बोर्ड की संरचना में बड़ा बदलाव होगा और इसमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.

3. जिला मजिस्ट्रेट के जरिए वक्फ की संपत्ति पर निगरानी रखी जा सकती है.

Modi सरकार ये बड़े बदलाव वक्फ एक्ट में ला सकती है. 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों को काफी मजबूती दी थी, जिसपर मोदी सरकार की नजर दूसरे कार्यकाल के समय से ही थी.

क्या है वक्फ बोर्डव क्फ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है ठहरना या कायम रहना. वहीं विशेष अर्थ होता है अल्लाह के नाम पर दान की गई वस्तु यानी जिसका उद्देश्य परोपकार हो. वक्फ बोर्ड उन चीजों की निगरानी करता है जो अल्लाह के नाम पर दान की गई हो. वक्फ बोर्ड के पास असीमित अधिकार और संपत्ति हैं, जिसकी वजह से वक्फ बोर्ड हमेशा चर्चा में रहता है. वक्फ बोर्ड दान में मिली चल-अचल संपत्ति का सही इस्तेमाल हो इसकी व्यवस्था देखता है. इस्लाम के अनुसार वह इसके उपयोग भी करता है. जैसे मस्जिद बनवाना, शिक्षा की व्यवस्था करवान और अन्य धार्मिक काम करवाना.

कब हुआ था वक्फ बोर्ड का गठन और क्या है उद्देश्यव क्फ बोर्ड के गठन के लिए 1954 नेहरू जी के शासनकाल में वक्फ एक्ट पास हुआ था जिसके बाद केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन 1964 में हुआ, जो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन, एक सांविधिक निकाय है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री होते हैं, जिन के पास वक्फ का प्रभार होता है और ऐसे सदस्यों की संख्या 20 से अधिक नहीं हो सकती जो कि भारत सरकार द्वारा नियुक्त किये जा सकते हैं.

वक्फ बोर्ड के पास सेना और रेलवे के बाद देश में सबसे ज्यादा संपत्ति है. वक्फ बोर्ड का गठन इसलिए किया गया है, ताकि मुस्लिम समाज के लोगों का कल्याण हो और उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारा जा सके,लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतनी संपत्ति के बाद भी क्यों मुस्लिम समाज आज तक सामाजिक रूप से इतना पिछड़ा है? वक्फ एक्ट में लाए जा रहे संशोधन और इसके कार्यों की जानकारी के लिए नवभारत न्यूज इण्डिया ने मौलाना तहजीब से चर्चा की।

वक्फ की संपत्ति की हिफाजत हो-मौलाना तहजीबमौ लाना तहजीब ने कहा कि वक्फ एक्ट को लेकर जो संशोधन आ रहा है, उसपर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह जरूरी है कि वक्फ की संपत्ति की रक्षा हो और उसका सही इस्तेमाल हो. समाज में शिक्षा का प्रसार और सामाजिक स्थिति में सुधार हो.

मेरा तो यह भी कहना है कि वक्फ की संपत्ति से इस तरह के स्कूल काॅलेज बने जिसमें सभी धर्म के लोग पढ़ाई कर सकें. साथ ही मेरा यह भी कहना है कि चेयरमैन की मनमानी पर रोक लगे. वक्फ की संपत्ति का दुरुपयोग ना हो. कोई भी संशोधन अगर वक्फ बोर्ड को मजबूत करता हो तो उसमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन यह बात संशोधन में दिखनी चाहिए.

जहां तक बात मुस्लिम महिलाओं को वक्फ बोर्ड में जगह देने की है, तो मेरे ख्याल से इसमें कोई दिक्कत नहीं है. महिलाएं हमारे समाज का हिस्सा हैं और उनके अधिकारों की रक्षा भी होनी चाहिए. उन्हें भी बेहतर जीवन और शिक्षा का अधिकार है.

ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा, “…संशोधन उस प्रक्रिया का हिस्सा है जो समय-समय पर होती रहती है…वक्फ एक्ट में पहले भी संशोधन किए गए हैं…इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि वक्फ की गरिमा को ठेस न पहुंचे…संशोधन करना समय की मांग है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए…इस पर चर्चा होनी चाहिए…जब पिछली सरकारों के दौरान संशोधन किए गए थे तो असदुद्दीन ओवैसी या अन्य विपक्षी नेताओं ने क्या कहा था?…विपक्ष को हर चीज पर विरोध नहीं करना चाहिए। इस पर राजनीति नहीं बल्कि चर्चा होनी चाहिए।”

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